- फिल्म - आर्टिकल 15
- निर्माता - अनुभव सिन्हा और ज़ी स्टूडियो
- निर्देशक - अनुभव सिन्हा
- लेखक - अनुभव सिन्हा, गौरव सोलंकी
- संपादन - यशा रामचंदानी
- संगीत - पीयूष शंकर, अनुराग साकिया
- गीत - रश्मि विराग, शकील आज़मी
- कलाकार- आयुष्मान खुराना, ईशा तलवार, सयानी गुप्ता, कुमुद मिश्रा, मनोज पाहवा, नासिर, आशीष वर्मा, प्रर्थाना बेहर, शशांक शेंडे, सुशील पांडे, अंकुर विकल, शंकर यादव, शुभ्रज्योति भरत, रंजिनी चक्रवर्ती, मोहम्मद जीशान अय्यूब, मीर सरवर, राजीव सिंह।
फीचर डेस्क मुंबई। अनुभव सिन्हा और जी-म्यूजिक की धमाकेदार मूवी आर्टिकल 15 का ट्रेलर सोशल मीडिया में जारी हो चुका है। इस फिल्म का निर्देशन किया है अनुभव सिन्हा ने और लेखक है अनुभव सिन्हा व गौरव सोलंकी। आधिकारिक ट्रेलर के अनुसार यह फिल्म भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 पर आधारित है, जो धर्म, जाति, मूलवंश, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाती है। यानी अनुच्छेद 15 के द्वारा सामाजिक समता का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद 15 (1) के अनुसार राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
अनुच्छेद 15 (2) के अनुसार कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमे से किसी के आधार पर– (क) दुकानों, सार्वजानिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजानिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या (ख) पूर्ण या आंशिक रूप से राज्य निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजानिक समागम के स्थानों के उपयोग के सम्बन्ध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
फिल्म आर्टिकल 15 समाज के सामने कुछ वास्तिवक घटनाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करता दिख रहा है। वैसे तो यह फिल्म 28 जून को रिलीज होने वाली है फिलहाल आधिकारिक ट्रेलर की बात करते है। एक सूत्रधार कहता है- मैं और तुम उन्हे दिखाई ही नहीं देते। हम कभी हरिजन हो जाते है, कभी बहुजन हो जाते है, बस जन नहीं बन पा रहे है। कानून की जानकारों की माने तो हमारे देश का कानून काफी सख्त है लेकिन सख्ती से पालन नहीं होने के कारण आज भी एक वर्ग उपेक्षित और शोषित है। कौन लोग है उपेक्षा के शिकार और उनका शोषण कौन कर रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। आये दिन अखबारों में इस तरह की ज्वलंत खबरे छपती है जो शाम होते ही ठंडी पड़ जाती है। फिर भी हम गर्व से कहते है कानून हमें सामाजिक समता का अधिकार देता है। फिल्म आर्टिकल 15 के जरिये फिल्ममेकर ने इस तरह के दोहरे चरित्र से पर्दा उठाने की कोशिश की है एक शब्द में कहे तो समाज और कानून के रखवालों पर कटाक्ष है यह फिल्म।