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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश


चौसठ योगिनी मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के भेड़ाघाट में स्थित है। यह मंदिर भारत में सबसे प्राचीन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है और यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। यह मंदिर चौसठ योगिनियों को समर्पित है जो हिंदू देवी देवताओं में से एक मानी जाती हैं। इस मंदिर का स्थापना काल लगभग 10वीं शताब्दी तक जाता है।

चौसठ योगिनियों के नाम निम्नलिखित हैं:-

चौंसठ योगिनियों के नाम:- 

1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा,
 
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11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 
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21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 

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31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 

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41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 

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51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 

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61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली। 

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ये चौसठ योगिनियों के प्रसिद्ध नाम हैं, पूर्वकाल में योगिनियों को भक्ति और तंत्र में महत्वपूर्ण माना जाता था।

चौसठ योगिनी मंदिर भारत में कहां कहां है ?

चौसठ योगिनी मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। ये मंदिर वेदिका के अंतर्गत आते हैं और तंत्र में उपयोग किए जाने वाले शक्ति के चार उपासना स्थलों में से एक होते हैं। कुछ प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिरों के नाम हैं:-
  • चौसठ योगिनी मंदिर, भुवनेश्वर, उड़ीसा
  • चौसठ योगिनी मंदिर, मितौली, उत्तराखंड
  • चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, जालोर, राजस्थान
  • चौसठ योगिनी मंदिर, नालन्दा, बिहार
  • चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, हिंडोला, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, छत्तरपुर, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र
  • चौसठ योगिनी मंदिर, तिकामगढ़, उत्तर प्रदेश

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ये सिर्फ कुछ मुख्य चौसठ योगिनी मंदिर हैं लेकिन भारत में अन्य भी ऐसे मंदिर हैं जो चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में जानी जाती है।

चौसठ योगिनी मंदिर का क्या रहस्य है ?

चौसठ योगिनी मंदिर एक प्राचीन तंत्रिक मंदिर होता है जो शक्ति के पूजन और विकास के लिए विशेष महत्व रखता है। ये मंदिर चौसठ योगिनियों के देवी समूह के उपासना स्थलों में से एक होते हैं। ये देवी समूह चौसठ योगिनियों को शक्ति की एक विशिष्ट शक्ति के रूप में जाना जाता है, जो सभी प्रकार की शक्तियों को नियन्त्रित करती है।

चौसठ योगिनी मंदिर में योगिनियों के 64 मूर्तियां होती हैं, जो चारों दिशाओं में 16-16 होती हैं। इन मूर्तियों को उपचार और उपासना के लिए उपयोग किया जाता है। चौसठ योगिनी मंदिर में शक्ति के बहुत से रहस्य होते हैं जो इस मंदिर को उन्नति और शक्ति के लिए एक शक्तिशाली स्थान बनाते हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में विभिन्न उपाय और उपचार भी होते हैं जो रोग निवारण, समृद्धि और संबलता, वशीकरण, व्यापार वृद्धि आदि में मदद करते हैं।

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चौसठ योगिनी मंदिर हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है और इसके पीछे कई रहस्य हैं।

पहला रहस्य इस मंदिर के नाम में है। चौसठ योगिनी मंदिर में चौसठ योगिनियों की मूर्तियां स्थापित होती हैं जो शक्ति के एक विशेष प्रकार को दर्शाती हैं। योगिनियों का नाम संस्कृत में अलग-अलग होता है लेकिन इनमें से हर एक योगिनी का अपना विशेषता और शक्ति होती है। इन योगिनियों की उपासना वेदों में भी वर्णित है।

दूसरा रहस्य इस मंदिर के आकार में है। चौसठ योगिनी मंदिर का आकार विशेष होता है जो गोल आकृति का होता है और मंदिर के अंदर चौसठ योगिनियों की मूर्तियां एक गोलाकार कक्ष में स्थापित होती हैं। इसका विशेष महत्व होता है जो योगिनियों के तंत्र में बताया गया है। वे बताते हैं कि चौसठ योगिनी मंदिर के गोल आकार वास्तव में शक्ति की चक्रवाती ऊर्जा को दर्शाता है।

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चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट किसने बनवाया था ?

चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का निर्माण बुन्देलखंड के राजाओं में से किसी ने कराया था। इस मंदिर का निर्माण लगभग 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था जब इस क्षेत्र में बुन्देलखंड राजवंश शासन कर रहा था।

इस मंदिर में चौसठ योगिनियों की मूर्तियां स्थापित हैं जो योगिनियों के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं। यह मंदिर संगम काल में बहुत ख्याति प्राप्त कर गया था और आज भी यहां कई श्रद्धालु आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का इतिहास व प्रचलित मान्यताएं ?

चौसठ योगिनी मंदिर के बारे ऐसी मान्यता है कि जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने भेड़ाघाट के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर विश्राम करने का निर्णय किया। इस स्थान पर सुवर्ण नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान शिव को देखकर प्रसन्न हो गए और उनसे प्रार्थना की कि जब तक वो नर्मदा पूजन कर वापस न लौटें तब तक भगवान शिव उसी पहाड़ी पर विराजमान रहें। नर्मदा पूजन करते समय ऋषि सुवर्ण ने विचार किया कि यदि भगवान हमेशा के लिए यहाँ विराजमान हो जाएँ तो इस स्थान का कल्याण हो और इसी के चलते ऋषि सुवर्ण ने नर्मदा में समाधि ले ली।

इसके बाद से कहा जाता है कि आज भी उस पहाड़ी पर भगवान शिव की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। माना जाता है कि नर्मदा को भगवान शिव ने अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था ताकि मंदिर पहुँचने के लिए भक्तों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसके बाद संगमरमर की कठोरतम चट्टानें मक्खन की तरह मुलायम हो गई थीं जिससे नर्मदा को अपना मार्ग बदलने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हुई।

चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान कल्चुरी शासक युवराजदेव प्रथम के द्वारा कराया गया। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती समेत योगिनियों का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था।

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश
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नर्मदा नदी 

नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक पहाड़ियों के मध्य स्थित अमरकंटक जिले के उत्तर-पूर्व भाग में होता है। यह जगदेवा नगर पर्वत श्रृंखला के मानकचुंद पहाड़ से बहती है और नर्मदा के उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,312 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उद्गम स्थल एक प्राकृतिक रूप से खूबसूरत एवं प्राकृतिक आश्रय है, जहाँ बहुत सारी छोटी-छोटी नदियां, झीलें और झाड़ियां होती हैं।

नर्मदा नदी का उद्गम कुछ लोगों के अनुसार अमरकंटक पहाड़ियों में मौजूद नर्मदा नदी के तीर्थ स्थल नर्मदा कुंड से होता है। इस जगह पर एक छोटी झील होती है जो उस स्थान को चिह्नित करती है जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है।

नर्मदा नदी भारत की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह नदी भारत के मध्य भाग में स्थित है और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से बहती हुई है।

नर्मदा नदी की कहानी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार, नर्मदा नदी को माँ नर्मदा का रूप दिया जाता है और इसे संसार की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, नर्मदा नदी के नाम से कुछ ज्ञानियों ने मुख्यतः तीन रूपों की स्थापना की है - सदाशिव, विष्णु और ब्रह्मा। इसलिए नर्मदा नदी को तीर्थराज माना जाता है जो उत्तर भारत में बहती है।

इसके अलावा, नर्मदा नदी की एक और प्रसिद्ध कहानी है जिसके अनुसार राजा भगीरथ ने नर्मदा नदी को इन्द्र के शिविर में आने वाली आभा के रूप में उत्पन्न किया था। यह नदी समस्त देवताओं का तीर्थ समझी जाती है।

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