चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
चौसठ योगिनियों के नाम निम्नलिखित हैं:-
चौंसठ योगिनियों के नाम:-
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार,
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
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31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका,
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी,
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता,
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
ये चौसठ योगिनियों के प्रसिद्ध नाम हैं, पूर्वकाल में योगिनियों को भक्ति और तंत्र में महत्वपूर्ण माना जाता था।
चौसठ योगिनी मंदिर भारत में कहां कहां है ?
चौसठ योगिनी मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। ये मंदिर वेदिका के अंतर्गत आते हैं और तंत्र में उपयोग किए जाने वाले शक्ति के चार उपासना स्थलों में से एक होते हैं। कुछ प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिरों के नाम हैं:-- चौसठ योगिनी मंदिर, भुवनेश्वर, उड़ीसा
- चौसठ योगिनी मंदिर, मितौली, उत्तराखंड
- चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, मध्य प्रदेश
- चौसठ योगिनी मंदिर, जालोर, राजस्थान
- चौसठ योगिनी मंदिर, नालन्दा, बिहार
- चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश
- चौसठ योगिनी मंदिर, हिंडोला, मध्य प्रदेश
- चौसठ योगिनी मंदिर, छत्तरपुर, मध्य प्रदेश
- चौसठ योगिनी मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र
- चौसठ योगिनी मंदिर, तिकामगढ़, उत्तर प्रदेश
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
ये सिर्फ कुछ मुख्य चौसठ योगिनी मंदिर हैं लेकिन भारत में अन्य भी ऐसे मंदिर हैं जो चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में जानी जाती है।
चौसठ योगिनी मंदिर का क्या रहस्य है ?
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट किसने बनवाया था ?
चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का निर्माण बुन्देलखंड के राजाओं में से किसी ने कराया था। इस मंदिर का निर्माण लगभग 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था जब इस क्षेत्र में बुन्देलखंड राजवंश शासन कर रहा था।
चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का इतिहास व प्रचलित मान्यताएं ?
चौसठ योगिनी मंदिर के बारे ऐसी मान्यता है कि जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने भेड़ाघाट के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर विश्राम करने का निर्णय किया। इस स्थान पर सुवर्ण नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान शिव को देखकर प्रसन्न हो गए और उनसे प्रार्थना की कि जब तक वो नर्मदा पूजन कर वापस न लौटें तब तक भगवान शिव उसी पहाड़ी पर विराजमान रहें। नर्मदा पूजन करते समय ऋषि सुवर्ण ने विचार किया कि यदि भगवान हमेशा के लिए यहाँ विराजमान हो जाएँ तो इस स्थान का कल्याण हो और इसी के चलते ऋषि सुवर्ण ने नर्मदा में समाधि ले ली।
इसके बाद से कहा जाता है कि आज भी उस पहाड़ी पर भगवान शिव की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। माना जाता है कि नर्मदा को भगवान शिव ने अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था ताकि मंदिर पहुँचने के लिए भक्तों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसके बाद संगमरमर की कठोरतम चट्टानें मक्खन की तरह मुलायम हो गई थीं जिससे नर्मदा को अपना मार्ग बदलने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हुई।
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश |
नर्मदा नदी
नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक पहाड़ियों के मध्य स्थित अमरकंटक जिले के उत्तर-पूर्व भाग में होता है। यह जगदेवा नगर पर्वत श्रृंखला के मानकचुंद पहाड़ से बहती है और नर्मदा के उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,312 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उद्गम स्थल एक प्राकृतिक रूप से खूबसूरत एवं प्राकृतिक आश्रय है, जहाँ बहुत सारी छोटी-छोटी नदियां, झीलें और झाड़ियां होती हैं।
नर्मदा नदी का उद्गम कुछ लोगों के अनुसार अमरकंटक पहाड़ियों में मौजूद नर्मदा नदी के तीर्थ स्थल नर्मदा कुंड से होता है। इस जगह पर एक छोटी झील होती है जो उस स्थान को चिह्नित करती है जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है।
नर्मदा नदी भारत की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह नदी भारत के मध्य भाग में स्थित है और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से बहती हुई है।
नर्मदा नदी की कहानी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार, नर्मदा नदी को माँ नर्मदा का रूप दिया जाता है और इसे संसार की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, नर्मदा नदी के नाम से कुछ ज्ञानियों ने मुख्यतः तीन रूपों की स्थापना की है - सदाशिव, विष्णु और ब्रह्मा। इसलिए नर्मदा नदी को तीर्थराज माना जाता है जो उत्तर भारत में बहती है।