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छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘गुईयां’ का हुआ मुहूर्त, अमलेश नागेश व हेमा शुक्ला के साथ क्रांति दीक्षित, पूरन किरी, पुष्पेंद्र सिंह और संगीता निषाद की अहम भूमिका

छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘गुईयां’ का हुआ मुहूर्त, अमलेश नागेश व हेमा शुक्ला के साथ क्रांति दीक्षित, पूरन किरी, पुष्पेंद्र सिंह और संगीता निषाद की अहम भूमिका


सिनेमा। एन. माही फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘गुईयां’ का हुआ 10 अप्रेल को दल्लीराजहरा में हुआ मुहूर्त। इस फिल्म के निर्माता है मोहित साहू और निर्देशक है मनीष मानिकपुरी। मोर जोड़ीदार, लव दीवाना, मोर जोड़ीदार 2 जैसे अनेक हिट फिल्मों  के निर्माता मोहित साहू इस बार गुईयां में अमलेश नागेश को बतौर नायक लिये है साथ ही उनके साथ हेमा शुक्ला, क्रांति दीक्षित, पूरन किरी, पुष्पेंद्र सिंह और संगीता निषाद सहित कई दिग्गंज कलाकारों की दमदार अदाकारी देखने को मिलेगा।

अमलेश नागेश छॉलीवुड का सबसे बड़ा यूट्यूबर है, लाखों रूपये उनकी महीने की अर्निंग होती है। अब ऐसे कलाकार को बड़े पर्दे पर नायक के रूप में देखना दिलचस्प होगा। हाल ही में अमलेश नागेश की फिल्म ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ सतीश जैन के निर्देशन में अभिनेत्री एल्सा घोष के साथ आगामी 5 मई को सिनेमाघरों में आने वाली है। इसके अलावा प्रणव झा के साथ 'बेनाम बादशाह’ व ‘डार्लिंग प्यामर झुकता नहीं’ में छोटी भूमिका करने के बाद फिल्म टीना टप्पर में दीक्षा जायसवाल के साथ नजर बतौर नायक नजर आयेंगे। अब हाल ही में उनकी अगली फिल्म निर्माता मोहित साहू के साथ गुईयां में अभिनेता में बतौर पर नजर आयेंगे।

छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘गुईयां’ का हुआ मुहूर्त, अमलेश नागेश व हेमा शुक्ला के साथ क्रांति दीक्षित, पूरन किरी, पुष्पेंद्र सिंह और संगीता निषाद की अहम भूमिका

अमलेश नागेश होगा 2023 का सबसे बड़ा सुपरस्टार

अमलेश नागेश होगा 2023 का सबसे बड़ा सुपरस्टार
अमलेश नागेश होगा 2023 का सबसे बड़ा सुपरस्टार

  • प्रणव झा और सतीश जैन के बाद अब अमलेश नागेश का मोहित साहू प्रोडक्शन में एंट्री
  • गुईया का फस्टत लुक खूब भा रहा है अमलेश के फैंस को

सिनेमा। छत्तीसगढ़ी सिनेमा की दुनिया में हास्य के शहंशाह अमलेश नागेश का पदार्पण हो चुका है, और साल 2023 में उनका पहला बतौर नायक फिल्म ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ 5 मई से सिनेमाघरों में धुम मचाने आ रहा है। ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ में अमलेश नागेश के साथ एल्सा घोष की जोड़ी को तरासे हैं निर्देशक सतीश जैन ने और फिल्म के निर्माता है छोटेलाल साहू।

अमलेश नागेश छॉलीवुड के लिए कोई नया नाम नहीं है। प्रणव झा के साथ वे बेनाम बादशाह में काम कर चुके है, उनकी नई फिल्मं टीना टप्पर में भी अभिनेत्री दीक्षा जायसवाल के साथ नजर वे आयेंगे। आज एक और बड़ी खबर छॉलीवुड से निकलकर आई है कि एन माही फिल्म के बैनर तेल बनने वाली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘गुईया’ में भी वे अभिनेता के बतौर पर नजर आयेंगे। निर्माता मोहित साहू और निर्देशक मनीष मानिकपुरी की फिल्म गुईयां का मुहूर्त 10 अप्रैल को दल्लीराजहरा में हुआ। सुत्रों की माने तो इस फिल्म की कहानी खुद अमलेश नागेश ने लिखी है। संगीत है नवलदास मानिकपुरी का और सिनेमेटोग्राफी रजत सिंह राजपूत की है। गानों की रिकॉडिंग के साथ ही शूटिंग भी शुरू हो चुका है।

अमलेश नागेश तो छॉलीवुड में हास्य की दुनिया का बेताज बादशाह है। ‘सी जी की वीनस’ नाम से खासे लोकप्रिय यूट्यूब चैनल का सबस्क्राइबर मिलियन क्रास कर चुका है, लगभग हर वीडियों वायरल होता है। सोशल मीडिया में वे वन मेन शो होते है उनका हर किरदार हंगामा मचा देता है। खैर फीचर फिल्म को वे कितना सफल कराते है, या वे सफल होते है यह आने वाला वक्त बतायेगा। बहरहाल एक बड़ी खुशखबरी है कि प्रणव झा और सतीश जैन के बाद मोहित साहू के साथ उनको काम करने का मौका मिल रहा है।

मोर जोड़ीदार, लव दीवाना, मोर जोड़ीदार 2 जैसे शानदार फिल्मों के निर्माता मोहित साहू के साथ अमलेश नागेश आगामी फिल्म गुईयां की शुटिंग में व्यस्त है। गुईया का एक शानदान पोस्टर भी लांच हुआ है... आगे फिल्म कहानी, अन्य कलाकार और लोकेशन आदि के बारे में भी चर्चा करेंगे। लेकिन इतना तो पक्का है कि साल 2023 का अंत और 2024 का आरंभ सुपरस्टार अमलेश नागेश के लिये बहुत खास होगा।

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश


चौसठ योगिनी मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के भेड़ाघाट में स्थित है। यह मंदिर भारत में सबसे प्राचीन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है और यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। यह मंदिर चौसठ योगिनियों को समर्पित है जो हिंदू देवी देवताओं में से एक मानी जाती हैं। इस मंदिर का स्थापना काल लगभग 10वीं शताब्दी तक जाता है।

चौसठ योगिनियों के नाम निम्नलिखित हैं:-

चौंसठ योगिनियों के नाम:- 

1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा,
 
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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 
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21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली। 

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

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चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

ये चौसठ योगिनियों के प्रसिद्ध नाम हैं, पूर्वकाल में योगिनियों को भक्ति और तंत्र में महत्वपूर्ण माना जाता था।

चौसठ योगिनी मंदिर भारत में कहां कहां है ?

चौसठ योगिनी मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। ये मंदिर वेदिका के अंतर्गत आते हैं और तंत्र में उपयोग किए जाने वाले शक्ति के चार उपासना स्थलों में से एक होते हैं। कुछ प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिरों के नाम हैं:-
  • चौसठ योगिनी मंदिर, भुवनेश्वर, उड़ीसा
  • चौसठ योगिनी मंदिर, मितौली, उत्तराखंड
  • चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, जालोर, राजस्थान
  • चौसठ योगिनी मंदिर, नालन्दा, बिहार
  • चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, हिंडोला, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, छत्तरपुर, मध्य प्रदेश
  • चौसठ योगिनी मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र
  • चौसठ योगिनी मंदिर, तिकामगढ़, उत्तर प्रदेश

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

ये सिर्फ कुछ मुख्य चौसठ योगिनी मंदिर हैं लेकिन भारत में अन्य भी ऐसे मंदिर हैं जो चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में जानी जाती है।

चौसठ योगिनी मंदिर का क्या रहस्य है ?

चौसठ योगिनी मंदिर एक प्राचीन तंत्रिक मंदिर होता है जो शक्ति के पूजन और विकास के लिए विशेष महत्व रखता है। ये मंदिर चौसठ योगिनियों के देवी समूह के उपासना स्थलों में से एक होते हैं। ये देवी समूह चौसठ योगिनियों को शक्ति की एक विशिष्ट शक्ति के रूप में जाना जाता है, जो सभी प्रकार की शक्तियों को नियन्त्रित करती है।

चौसठ योगिनी मंदिर में योगिनियों के 64 मूर्तियां होती हैं, जो चारों दिशाओं में 16-16 होती हैं। इन मूर्तियों को उपचार और उपासना के लिए उपयोग किया जाता है। चौसठ योगिनी मंदिर में शक्ति के बहुत से रहस्य होते हैं जो इस मंदिर को उन्नति और शक्ति के लिए एक शक्तिशाली स्थान बनाते हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में विभिन्न उपाय और उपचार भी होते हैं जो रोग निवारण, समृद्धि और संबलता, वशीकरण, व्यापार वृद्धि आदि में मदद करते हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश



चौसठ योगिनी मंदिर हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है और इसके पीछे कई रहस्य हैं।

पहला रहस्य इस मंदिर के नाम में है। चौसठ योगिनी मंदिर में चौसठ योगिनियों की मूर्तियां स्थापित होती हैं जो शक्ति के एक विशेष प्रकार को दर्शाती हैं। योगिनियों का नाम संस्कृत में अलग-अलग होता है लेकिन इनमें से हर एक योगिनी का अपना विशेषता और शक्ति होती है। इन योगिनियों की उपासना वेदों में भी वर्णित है।

दूसरा रहस्य इस मंदिर के आकार में है। चौसठ योगिनी मंदिर का आकार विशेष होता है जो गोल आकृति का होता है और मंदिर के अंदर चौसठ योगिनियों की मूर्तियां एक गोलाकार कक्ष में स्थापित होती हैं। इसका विशेष महत्व होता है जो योगिनियों के तंत्र में बताया गया है। वे बताते हैं कि चौसठ योगिनी मंदिर के गोल आकार वास्तव में शक्ति की चक्रवाती ऊर्जा को दर्शाता है।

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश में है, की पूरी कहानी व तस्वीर देखिये
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश

चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट किसने बनवाया था ?

चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का निर्माण बुन्देलखंड के राजाओं में से किसी ने कराया था। इस मंदिर का निर्माण लगभग 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था जब इस क्षेत्र में बुन्देलखंड राजवंश शासन कर रहा था।

इस मंदिर में चौसठ योगिनियों की मूर्तियां स्थापित हैं जो योगिनियों के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं। यह मंदिर संगम काल में बहुत ख्याति प्राप्त कर गया था और आज भी यहां कई श्रद्धालु आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट का इतिहास व प्रचलित मान्यताएं ?

चौसठ योगिनी मंदिर के बारे ऐसी मान्यता है कि जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने भेड़ाघाट के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर विश्राम करने का निर्णय किया। इस स्थान पर सुवर्ण नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान शिव को देखकर प्रसन्न हो गए और उनसे प्रार्थना की कि जब तक वो नर्मदा पूजन कर वापस न लौटें तब तक भगवान शिव उसी पहाड़ी पर विराजमान रहें। नर्मदा पूजन करते समय ऋषि सुवर्ण ने विचार किया कि यदि भगवान हमेशा के लिए यहाँ विराजमान हो जाएँ तो इस स्थान का कल्याण हो और इसी के चलते ऋषि सुवर्ण ने नर्मदा में समाधि ले ली।

इसके बाद से कहा जाता है कि आज भी उस पहाड़ी पर भगवान शिव की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। माना जाता है कि नर्मदा को भगवान शिव ने अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था ताकि मंदिर पहुँचने के लिए भक्तों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसके बाद संगमरमर की कठोरतम चट्टानें मक्खन की तरह मुलायम हो गई थीं जिससे नर्मदा को अपना मार्ग बदलने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हुई।

चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान कल्चुरी शासक युवराजदेव प्रथम के द्वारा कराया गया। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती समेत योगिनियों का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था।

चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश
चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट जबलपुर मध्यप्रदेश


नर्मदा नदी 

नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक पहाड़ियों के मध्य स्थित अमरकंटक जिले के उत्तर-पूर्व भाग में होता है। यह जगदेवा नगर पर्वत श्रृंखला के मानकचुंद पहाड़ से बहती है और नर्मदा के उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,312 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उद्गम स्थल एक प्राकृतिक रूप से खूबसूरत एवं प्राकृतिक आश्रय है, जहाँ बहुत सारी छोटी-छोटी नदियां, झीलें और झाड़ियां होती हैं।

नर्मदा नदी का उद्गम कुछ लोगों के अनुसार अमरकंटक पहाड़ियों में मौजूद नर्मदा नदी के तीर्थ स्थल नर्मदा कुंड से होता है। इस जगह पर एक छोटी झील होती है जो उस स्थान को चिह्नित करती है जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है।

नर्मदा नदी भारत की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह नदी भारत के मध्य भाग में स्थित है और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से बहती हुई है।

नर्मदा नदी की कहानी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार, नर्मदा नदी को माँ नर्मदा का रूप दिया जाता है और इसे संसार की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, नर्मदा नदी के नाम से कुछ ज्ञानियों ने मुख्यतः तीन रूपों की स्थापना की है - सदाशिव, विष्णु और ब्रह्मा। इसलिए नर्मदा नदी को तीर्थराज माना जाता है जो उत्तर भारत में बहती है।

इसके अलावा, नर्मदा नदी की एक और प्रसिद्ध कहानी है जिसके अनुसार राजा भगीरथ ने नर्मदा नदी को इन्द्र के शिविर में आने वाली आभा के रूप में उत्पन्न किया था। यह नदी समस्त देवताओं का तीर्थ समझी जाती है।

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां


धुआंधार जलप्रपात के निकट बाजार में आप पत्थरों से बनी कलाकृतियों और मूर्तियों का भी विकल्प पाएंगे। यहां पर आप मध्य प्रदेश की स्थानीय कलाकारों के द्वारा बनाए गए स्कल्प्चर, मूर्तियां और अन्य वस्तुओं को खरीद सकते हैं।

यहां पर आप पत्थरों से बनी धातु कलाकृतियों, मूर्तियों, शिल्पकारी उत्पादों और अन्य कलाकृतियों को देख सकते हैं। आप एक संग्रहालय जैसे स्थान पर जा सकते हैं जहां आपको पत्थर से बनी विभिन्न मूर्तियां देखने को मिलेंगी।

इन पत्थर की कलाकृतियों में नारियल के खोखों, संगमरमर और अन्य पत्थरों से बनी शिल्पकारिता का जादू देखा जा सकता है। आप इन मूर्तियों को अपने घर की सजावट के रूप में खरीद सकते हैं या उन्हें दोस्तों और परिवार के साथी को उपहार के रूप में भी दे सकते हैं।

धुआंधार जलप्रपात बाजार में आप पत्थरों की कलाकृतियों और मूर्तियों की विस्तृत विविधता देख सकते हैं। यहां पर आपको विभिन्न प्रकार के पत्थरों से बनी वस्तुओं का विकल्प मिलता है, जिन्हें स्थानीय कलाकारों ने बनाया है।

आप मूर्तियों, अभिवाक्यांशों, फ़्लोर टाइल्स, पत्थर से बनी बेंच, फ़ाउंटेन, फ़्लॉवर पॉट, सुविधाएं, विविध वस्तुएं और अन्य चीजें खरीद सकते हैं। इन मूर्तियों और कलाकृतियों को स्थानीय कलाकारों द्वारा हाथ से बनाया जाता है और उनमें कुछ चमत्कारी डिजाइन होते हैं।

इन पत्थर कलाकृतियों को आप घर और ऑफिस में सजावट के रूप में उपयोग कर सकते हैं या उन्हें उपहार के रूप में दे सकते हैं। इसके अलावा, ये कलाकृतियां भी अपने दोस्तों और परिवार के लिए एक अनोखी यादों का उपहार हो सकती हैं।

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
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धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां

धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां
धुआंधार जलप्रपात बाजार में पत्थरों की कलाकृति एवं मूर्तियां


धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात: नर्मदा नदी से निकलता हुआ तेज जल का झरना


धुआंधार जलप्रपात जबलपुर जिले के भेड़ाघाट में जो कि मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और दर्शकों के लिए प्रदान करने वाली भौतिक अनुभूतियों के लिए जाना जाता है। इस जलप्रपात का नाम "धुआंधार" है, क्योंकि इससे निकलने वाली जल की झील पर तेज धुआं उठता है।

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन



यह जलप्रपात नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और इसका उच्चतम चौड़ाई 30 मीटर होती है। यहाँ का जल नर्मदा नदी से आता है जो निकटवर्ती नर्मदा घाटी के जंगलों से निकलती है। यह जलप्रपात एक शानदार दृश्य प्रदान करता है जो आपके मन को शांति और ताजगी देता है।

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक खूबसूरती का आश्चर्यजनक दृश्य





धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात: मध्य प्रदेश का प्राकृतिक सौंदर्य

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात में पर्यटकों का सैलाब

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात में पर्यटकों का सैलाब

धुआंधार जलप्रपात: एक प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दर्शन
धुआंधार जलप्रपात में पर्यटकों का सैलाब

Dhuandhar Falls is a beautiful and majestic waterfall located in Madhya Pradesh, India. The name "Dhuandhar" means "smoke cascade" or "mist flow" in Hindi, which accurately describes the mist and spray that rises from the waterfall as it cascades down the rocks.

The waterfall is located on the Narmada River, which flows through a gorge and drops down over 30 meters in height, creating a spectacular display of water and mist. The sound of the falling water is deafening and the view is truly breathtaking.

Visitors to Dhuandhar Falls can enjoy a boat ride on the Narmada River to get a closer view of the waterfall, or take a cable car ride for a bird's-eye view from above. The nearby town of Jabalpur offers plenty of options for accommodation and dining, making it a popular destination for tourists.

Overall, Dhuandhar Falls is a must-visit destination for anyone traveling to Madhya Pradesh, offering a unique and unforgettable experience of natural beauty and wonder.

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